काश सजदे का ये उसूल हो जाए
माँगूँ मैं ख़ुदा से तुझको....
और मेरी दुआ कुबूल हो जाए...!!!
✍सुरभि
सभ्यता का डंका बजता है भारत का,
भला मैं दूजी क्यों अपनाऊँ ।
अभी तो बाकी है माह फागुन का,
मैं एक दिन की मोहब्बत क्यों मनाऊँ...!!!
✍सुरभि