मुझे झुकाने की तेरी...
हर ख़्वाहिश पूरी कर ले ए-ज़िंदगी,
पर मेरी भी एक बात याद रख...
सजदा तुझे एक रोज़,
मेरा ही करना होगा...!!!
✍सुरभि
मुझे झुकाने की तेरी...
हर ख़्वाहिश पूरी कर ले ए-ज़िंदगी,
पर मेरी भी एक बात याद रख...
सजदा तुझे एक रोज़,
मेरा ही करना होगा...!!!
✍सुरभि
जिस देश के युवा के हक़ के लिए,
कोई बात ही ना करना चाहता हो...
खुदा ना करे...
पर उस देश का भविष्य....
उज्वल हो ही नहीं सकता...!!!
✍सुरभि
कुदरत के नूर को मैं क्या लिखूँ,
फरिश्ता है जो ख़ुद,
उसकी नुमाइश क्या लिखूँ ।
अल्फाज़ों के समुंदर में,
उतरी है ये खामोश कलम,
ए-ख़ुदा तू ही बता....
तेरे करिश्में पर मैं अल्फाज़ लिखूँ,
तो क्या लिखूँ...!!!
✍सुरभि
दुनिया के रंगो में तो खूब रंग लिया तूने,
अब चुटकी भर ही सही...
मेरा गुलाल भी तो लगवाता जा...!!!
✍सुरभि
होली का दिन है और ये लाचार युवा,
दिल्ली में आज भी जुट रहा है ।
समझ नही आता मेरे देश का सूरज,
ऊग रहा है या डूब रहा है...!!!
✍सुरभि