कुछ तो मजबूरी रही होगी....
वर्ना कलम पकड़,
लकीर खींचने वाले ये नन्हें हाथ,
यूँ ठेला ना खींचते...!!!
✍सुरभि
महज़ सौंधी खुशबू नहीं,
मोहब्बत की ये नज़्म भी समझो...
अरसे से तपती माटी ने आज,
बारिश की बून्दों का...
श्रृंगार किया है...!!!