खामोशी हूँ मैं,
मेरी आवाज़ है वो।
जिसे माँगा है हरपल,
वही अरदास है वो।
कुछ यूँ रिश्ता है मेरा उससे…
मैं हूँ एक अल्हड़ कलम,
मेरा हर एक अल्फ़ाज़ है वो…!!!!
Surbh! Nema
खामोशी हूँ मैं,
मेरी आवाज़ है वो।
जिसे माँगा है हरपल,
वही अरदास है वो।
कुछ यूँ रिश्ता है मेरा उससे…
मैं हूँ एक अल्हड़ कलम,
मेरा हर एक अल्फ़ाज़ है वो…!!!!
Surbh! Nema
तिनका-तिनका जोड़,
आशियाँ बनाया था जिस पर,
ना जानें कौन-कब.....
वो पेड़ ही काट गया...!!!
Surbh! Nema
०९-०९-२०१७
०६:४९pm
भोर हुयी थी आज मेरी,
माँ तेरी गोद में सोते-सोते ।
फिर ख्वाबों की डोर उलझी कुछ यूँ....
कि फासले हो गए मीलों के तुझसे,
मेरी ये सान्झ होते-होते ।
Surbh! Nema
फ़ुर्सत मिल जाए बड़े बाज़ारो से,
तो ज़रा नुक्कड़ पर भी रुख़ कर लेना ।
शायद अपना घर रोशन करने की तेरी चाहत,
किसी दूजे का आँगन भी रोशन कर दे...!!!
Surbh! Nema
बरसों से उलझा है ये दिल,
आज मेरी हर एक ख़ता बता दो...
चलो जाने की ना सही,
यूँ लौट आने की ही वजह बता दो...!!!
Surbh! Nema
लाख कोशिश की,
ज़िंदगी तुझे पूरा लिखने की ।
पर हर बार तेरी परिभाषा में,
एक "हलन्त" लग ही जाता है...!!!
Surbh! Nema
तेरा वक़्त उस वक़्त को वक़्त ना दे सका,
जहाँ ठहरा रहा मेरा वक्त,
सिर्फ तेरे वक्त के लिए...!!!
Surbh! Nema
चाँदनी है बाँहों में,
शरद की सौगात लगी है।
होगी पूनम तेरे इश़्क की चंदा,
यहाँ तो अब भी अमास लगी है..!!!
Surbh! Nema
हमने ख़ौफ खाया भी तो,
सिर्फ उनकी जुदायी से ।
और वो जुदा हो गए एक रोज़ ये कहकर....
जनाब तुम डरते बहुत हो...!!!
Surbh! Nema