हँसता खिलखिलता ये दिल मेरा,
ऩम अांखों संग रो गया ।
क्यों एक अजनबी अपना सा होकर,
फिर अजनबी सा हो गया...!!!
Surbh! Nema
हँसता खिलखिलता ये दिल मेरा,
ऩम अांखों संग रो गया ।
क्यों एक अजनबी अपना सा होकर,
फिर अजनबी सा हो गया...!!!
Surbh! Nema
जलता है कभी तपिश के संग,
कभी बारिश में भीगा करता है ।
वो है तो सिग्नल का एक पेपरवाला....
पर खुद्दारी से जिया करता है...!!!
Surbh! Nema
अक्सर ये सोच ख़ुश हो जाते हैं हम,
कि हमें नज़र अन्दाज़ करने की खातिर ही सही....
तेरी हम पर नज़र तो है...!!!
Surbh! Nema
हर रोग स्वीकार है,
हर मर्ज स्वीकार है,
तू बैरागी है तो क्या हुआ...
तेरी इस प्रेम-पुजारन को,
तेरा ये बैराग भी स्वीकार है...!!!
Surbh! Nema
जाना है तो संग अपने,
यादें भी तो लेता जा,
इस फ़कीर को रईस से,
फिर फ़कीर तो करता जा...!!!
Surbh! Nema
तेरे शहर की हवाओं से गुफ़्तगु कर जाना हमनें,
बहुत अधूरी सी हैं ये तुझ बिन...
बिल्कुल मेरी तरह...!!!
Surbh! Nema
बेशक हर दुआ कबूली नहीं जाती,
पर सब्र की इंतिहाँ भी खाली नहीं जाती ।
मैने करीब से देखा है उस खुदा की रहमत को,
यहाँ ख़ामोश दुआ कभी नकारी नहीं जाती...!!!
Surbh! Nema
धर्म-जाति के फ़ासलों को छोड़,
आओ हम सब एक "भारत" बन जाएँ ।
मंदिर-मस्जिद कभी और बना लेंगे ए-दोस्त.....
पहले हम इंसान तो बन जाएँ...!!!
Surbh! Nema
मत पूछ ए-गालिब,
मेरी दास्ताँ-ए-मोहब्बत...
बस यूँ समझ ले,
मुस्कुराहटों की चादर ओढ़ एक तूफान को छिपा रखा है मैनें.!!!
Surbh! Nema