तू भले अहसान मानना,
हम उसे तेरी ईदी समझ लेंगे,
तू बस पल भर के लिए आ जा..
हम अपना चाँद देख,
ये रोज़ा इफ्तार कर लेंगे...!!!
Surbh! Nema
तू भले अहसान मानना,
हम उसे तेरी ईदी समझ लेंगे,
तू बस पल भर के लिए आ जा..
हम अपना चाँद देख,
ये रोज़ा इफ्तार कर लेंगे...!!!
Surbh! Nema
तेरी गोद में खेल बड़ी हुई मैं,
ऊँगली पकड़ तुमने चलना सिखाया ।
बेटी थी पर बेटे जैसा,
जीवन का हर पाठ पढ़ाया ।
मुश्किलें मेरी थी,
पर रास्ता तुमने बनाया ।
दुत्कारती थी ये दुनिया,
तुमने मेरा साहस बँधाया ।
गुस्ताख़ियाँ भी कुछ कम न थी मेरी,
पर तुमने कभी मुँह न फिराया ।
लड़खड़ाए हुए कदमों पर मेरे,
तुमने ही तो हाथ बढ़ाया ।
ऋणी रहूँगी ए-ख़ुदा मैं तेरी,
तूने जो रहमत बरसाया,
अपना अंश धरती पर देकर,
मुझे उसकी गोद में खिलाया ।
आज एक ऋण और माँग रही हूँ...
मेरी एक अरदास सुन ले....
चाहे तू ले ले ख़ुशियाँ मेरी,
चाहे जीवन दर्द से भर दे,
बस एक करम कर दे ए-मालिक,
"मुस्कुराहट मेरे "माँ-बाबा" की
तू अपनी लेखनी से अमर कर दे...
तू अपनी लेखनी से अमर कर दे...!!!"
Surbh! Nema
18-06-17
04:32PM
मुझे झुकाने की तेरी हर ख़्वाहिश पूरी कर ले ए-ज़िंदगी,,,
पर मेरी भी एक बात याद रख...
सजदा तो तुझे एक दिन मेरा ही करना होगा...!!!
Surbh! Nema