कलम के नूर से बख़्शा है रब ने,
क्यूँ ना ये तारीख़ इस कदर सजाई जाए,
सालगिरह की पहली मुबारक.....
ख़ुद की ही कलम से रचाई जाए...!!!
Surbh! Nema
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