कागज़-कलम एक बार फिर,
मैनें आज उठाई है ,
चंद शब्दों की तलाश मुझे जाने कहाँ ले आई है
लिखना तो बहुत कुछ चाहूँ मैं,
विचारों के तूफ़ान को एक मोड़ देना चाहूँ मैं,
शब्दों से खेलना चाहूँ, तो कभी उनसे बातें करना चाहूँ ,
अपने शब्दों के संग कभी हँसना चाहूँ तो कभी रोना चाहूँ,
ज़िन्दगी के हर लम्हें को यादों में संजोना चाहूँ
शब्दों से बयाँ हो जाए जो,
हर वो बात मैं लिखना चाहूँ।
खुद की ही तलाश मुझे इस सफ़र पर ले आई है,
क्योंकि………
कागज़-कलम एक बार फिर,
मैनें आज उठाई है ……!!!!
Surbh! Nema
12-04-16
Wahhhh very nice👌👌
ReplyDeleteThank You :)
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